गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है? | गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक रहस्य क्या है? – आध्यात्मिक ज्ञान

गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है? | गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक रहस्य क्या है? – आध्यात्मिक ज्ञान

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  • 8 September 2024
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गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक रहस्य क्या है?

आइए इस छोटे से आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं। भारतवर्ष में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू होता है। और अनंत चतुर्दशी पर पूर्णतः गणेश विसर्जन होता है और त्योहारों की तरह यह उत्सव भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है? गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक रहस्य क्या है?

एक बार जब महादेव शंकर ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश को अपने वाहनों पर विराजमान होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने का आदेश दिया तो उनके बड़े बेटे कार्तिके तत्काल वह अपनी सवारी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। किंतु गणेश जी ने सोचा कि मैं तो अपने वाहन  चूहे पर सवार होकर भैया कार्तिकेय स्पर्धा में कभी जीत नहीं पाऊंगा अतः उन्होंने अपने पूज्य मात पिता को नमस्कार किया और उनकी स्तुति करते हुए उनकी परिक्रमा लगाकर बोले कि मैंने तो संसार की परिक्रमा लगा दी। उन्होंने कहा की माता और पिता में ही पुत्र का सारा संसार समाया हुआ होता है, इसलिए मात -पिता की परिक्रमा लगाना संसार की परिक्रमा लगाने के समान है।  यह तो केवल एक पौराणिक कथा का दृष्टांत है।

वास्तव में सारी सृष्टि के मात-पिता है आदिदेव, महादेव, शंकर और आदि देवी पार्वती जिनको अन्य धर्मावलंबियों द्वारा आदम-हउवा या आदम-एडम आदिनाथ-आदिनाथिनी के रूप में याद किया जाता है, इनके लिए ही शास्त्रों में गायन है. जगत पितरों वंदे पार्वती परमेश्वरो ।

शास्त्रों में जगदंबा और जगत पिता को भी ऊंचे कैलाश पर्वत पर किसी की याद या तपस्या में लीन दिखाया जाता है। वास्तव में जगत पिता और जगदंबा उस निराकार परमपिता शिव को याद करते हैं क्योंकि उनका अपना शरीर नहीं है. इसलिए वर्तमान समय कलयुग के अंत में पुरुषोत्तम संगम युग पर वो निराकार शिव साधारण मनुष्य में प्रवेश कर पुरानी परंपराओं और रीति रिवाजों का खंडन कराकर सहज राजयोग और ज्ञान की परक्रिया द्वारा नई दुनिया की स्थापना की नीव डाल रहें है और प्रैक्टिकल में आए हुए भगवान में अपने मन को एकाग्र करना ही सारे संसार का भ्रमण करने के समान है।

गणेश जी के कान बड़े माथा चौड़ा और लंबी सूंड क्यों दिखाते है ?

ज्ञान सुनने की निशानी. बड़े दो कान दिखाए जाते हैं. बुद्धिमता की निशानी चौडा माथा दिखाया जाता है. नाक से सूंघा जाता है. माने परख शक्ति भी बहुत होती है. गणेश जी में इतनी बुद्धि की एकाग्रता थी कि वे समझ गए कि मात-पिता में ही संसार समाया हुआ है और अपने मात-पिता से ही योग लगाया. इस प्रकार वे गणपति अर्थात गणो देवताओं के भी ईश्वर बन गए, प्रथम पूजनीय बन गए और संसार में गणेश चतुर्थी एक बड़े उत्सव के रूप में मनाई जाने लगी।

चौथ का चंद्रमा देखना अनिष्ट क्यों माना जाता है?

गणेश का जन्म हुआ है तो गणेश चतुर्थी यादगार बनी हुई है कि कृष्ण की यादगार जन्माष्टमी बनी हुई है, तो चतुर्थी में जो  गणेश बच्चा है, वह प्रत्यक्ष होता है. वो गणेश बच्चा. कि पापा का बच्चा ज्यादा है, है या अ्मां का बच्चा ज्यादा है. किसका बच्चा है, मां का बच्चा है और मां का जो पार्ट बजाने वाली आत्मा है, वह ज्यादे किससे जुड़ी हुई है. जो मां का पार्ट बजाने वाली आत्मा है कि वह ज्यादे निराकारी स्टेज से जुड़ी हुई है या साकार से जुड़ी हुई है? साकारी स्टेज से जुड़ी हुई है। इसलिए जो कृष्ण  वाली आत्मा है, हीरोइन का पार्ट बजाने वाली है, उसके लिए गायन पड़ गया है- चौथ का चंद्रमा अगर देखेंगे तो जो पैदाइश होगी, वह जानवर जैसी होगी. द्वापरयुग में गणेश जी की पूजा होती है या कलयुग में शुरू होती है? कलयुग में शुरू होती है. इसलिए चौथ का चंद्रमा देखना अनिष्ट माना जाता है।

  अधूरा चंद्रमा है। कहते हैं चौथ तो खाई हुई है। चौथ माने क्या  होता है? एक खरीदा होता है और एक बेचने वाला होता है. मकान हो, दुकान हो, कुछ भी हो और एक बिचौलिया होता है तो बिचौलिया क्या करता है? बीच में क्या करता है?. चौथ खा लेता है,वह जो चौथ खाना है वह सच्चा नहीं बताता है. जो चीज बेची गई, उसकी असली कीमत क्या है? बिच में चोरी कर लेता है तो कहते हैं चौथ खाई।

पुराने जमाने की बात छोड़ो आज की दुनिया में चौथ सबसे जा खा रहे हैं यह दुनिया का धंधा बन गया है और यह धंधा चलने वाले चलाने वाले ज्यादा धनवान बन रहे हैं या दूसरे बन रहे मेहनत की कमाई खाने वाले? चौथ खाने वाले ज्यादा धनवान बन रहे हैं. तो यह कृष्ण की आत्मा कि वह अधूरी स्टेज है जहां वह चौथ खाती है इसलिए उस चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए. अधूरे को देखेंगे स्टेज कैसी बनेगी? अधूरी बनेगी ।

गणेश जी को रिद्धेश्वर और सिद्धीविनायक क्यों कहा जाता है,

 खराब क्या है? विघ्न नाश नहीं होते? गणेश जी का पैदा होना, गणेश जी का प्रत्यक्ष होना. यह संसार में सबको पता चल जाए कि गणेश कौन है? जो देखे, जो जाने, जो सुने वह मान ले कि यही गणेश है। तो किसकी प्रत्यक्षता हो जाएगी? कौन सी आत्मा की प्रत्यक्षता हुई? अरे ब्रह्मा की प्रत्यक्षा हो गई। स्पेशल बात क्लियर हो गई कि उनके प्रत्यक्ष होते ही, उनके जन्म लेते ही सब प्रकार के यज्ञ के विघन  खलास  हो जायेंगे है इसलिए पहले गणेश की पूजा होती है।

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