VCD 541 | MURLI TEST PAPER 67 | Image Download Now | Adhyatmik Gyan

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VCD 541 MURLI DATE 18.05.1967

     बाप को याद करते रहो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जावेंगे बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश क्यों होते हैं? ओरों को याद करने से विकर्म क्यों बन जाते हैं? क्या कारण है? बाप कोई कर्म का भोग नहीं भोगता इसलिए अभोक्ता कहा जाता है कर्म और अकर्म की गति को बताने वाला है जो खुद ही बताने वाला है वो विकर्म कैसे करेगा? वो तो सदैव स्वय स्थिति में स्थित होने वाला है जो स्वय स्थिति में स्थित हो जाते हैं उनके विकर्म नहीं बनते। स्वर्ग में देवताएं भी स्वय स्थिति में स्थित होंगे उसका नाम ही है स्वर्ग। स्वय स्थिति में जानेवाले के संगठन को ही स्वर्ग कहा जाता है। और बाप तो हैं ही सदाशिव सदैव स्वय स्थिति में स्थित रहने वाला। हम ओरों के संग मे आते हैं तो संग का रंग लग जाता है पाप कर्म बन जाता है उसका कोई पाप कर्म नहीं बनता। संग के रंग में आते हुए भी पाप कर्म नहीं बनता इसलिए वो सदा विदेही हैं तो उसको याद करने से हमारे विकर्म विनाश होंगे। विकर्म जितने जास्ती विनाश होंगे जितनी फर्स्ट क्लास याद करेंगे उतने फर्स्ट क्लास तुमको लोटरी मिलेगी। 21 जन्मों के लिए तुम एवर वेल्दी एवर हेल्दी बन जावेंगे। सजा खाने वाले का पद ही भ्रष्ट हो जाता है ऐसी पढ़ाई पढ़ते कोई भी ऐसे ऐसे हैं जो पढ़ाई को ही छोड़ देते हैं। ऊंच पद पाते पाते गड्ढे में चले जाते हैं ध्यान ही नहीं देते! नहीं तो समझते हैं वोही वोही बातें रोज समझाते हैं कोई नयी बात बतावेंगे नहीं। पांच सात रोज अगर मुरली नहीं भी पढ़ी तो इसमें हर्जा ही क्या है! परंतु बाबा कहते हैं कब कब मुरली में पॉइंट ऐसे ऐसे निकलते हैं जो एकदम कोई भी खड़े हो सकते हैं इसलिए बाबा ताकिद करते हैं कि जो जो अच्छे अच्छे बच्चे हैं उनको तो मुरली रेगुलर पढ़नी चाहिए। स्कूल में अगर कब कब जावेंगे तो बाप और टीचर क्या समझेंगे! कहेंगे ये तो मुर्ख बच्चा हैं जो पढ़ता नहीं है इसकी तकदीर मे नहीं है। बाप तो आये हैं तदबीर करवाते हैं बाप आकर बच्चों को शिक्षा देते हैं युक्ति रचते हैं समझाते रहते हैं कि जो भी कोई आवे तो उनको बाप का परिचय देते रहो।

VCD 541 MURLI DATE 18.05.1967

     कृष्ण के भक्तों से कृष्ण के लिए पूछते हैं तो वो कह देते वो तो सर्वव्यापी है जिधर देखता हूँ कृष्ण ही कृष्ण हैं! राधा के भक्त फिर कहेंगे जिधर देखता हूँ राधा ही राधा हैं! तो सर्वव्यापी बनाई देते हैं। एक तरफ कहते हैं कि सभी ईश्वर के रूप है! जो ईश्वर के रूप है वो सब साकार हैं फिर कहते हैं वो निराकार हैं फिर दूसरी तरफ कृष्ण साकार के लिए कह देते हैं वोही भगवान हैं तो देखो जैसे जो मत मिलती हैं उन्हीं को फोलो कर लेते हैं अब कोई कहते हैं मानव मत। बाप कहते है ये मानव मत भी आसूरी मत है और ये मानव मत क्या बनाती है?हं? मनुष्य की मत है वो क्या बातें बनाती हैं? मानव मत काली का चित्र बनाया कितना भयानक रूप बनाया! बस काली मां काली मां कहकर के एकदम मस्त हो जाते हैं कोई की सुनते नहीं है। काली के बहुत भक्त होते हैं। कब? कलियुग के अंत में जब बहुत काला युग हो जाता है तो काली के भक्त ढेर के ढेर हो जाते हैं।बकरे की महाबली चढ़ती हैं। किसकी? बकरे की बलि। कहां की यादगार हैं? कैसे? जो यहाँ कहते हैं कि मैं ही स्वर्ग का निर्माण करूंगा मैं ही नईदुनिया बनाऊंगा मेरे अलावा ओर कोई विश्व का कल्याण कर नहीं सकता। ऐसो की काली फिर बलि लेती है। भारत को आदमखोर भी कहा जाता है। महात्मा बुद्ध के जन्म लेने से पहले भारत में आदमियों की बलि चढ़ाई जाती थी उसको भून के खाते थे उनको महाप्रसाद कहा जाता था। क्रिश्चियन लोगों ने आकर के एकदम आदमखोरी बंद कर दी। आदमी को खा जाते थे! कहां की यादगार? यहाँ संगम युग में भी कोई स्थूल रूप में भून के खा जाने की बात नहीं है। 

     पुरूषों को भी सरेंडर करा लेते हैं हालांकि पुरूषों को सरेंडर होनी की दरकार नहीं है। सरेंडर करके उनका तन उनका मन उनका धन उनके समय संबंध संपर्क सब स्वाहा कर लेते हैं स्वाहा करना माना भूनके खा जाना। अपने पेट में डाल देते हैं भगवान के नाम पर। वहाँ तो क्रिश्चियन्स ने आकर बंद कर दी यहाँ फिर आदमखोरी कौन बंद कर करता है?हें? भगवान बाप आते हैं तो कृष्ण बच्चे के द्वारा प्रत्यक्ष होते हैं। कृष्ण बच्चा जब प्रत्यक्ष होता है तो ऐसी आदमखोरी को बंद कराई देता है। देवियों की जो पूजा करते हैं वो पूजा मे इतने मस्त हो जाते हैं कि अपने बीवी बाल बच्चों को परवरिश करना भूल जाते हैं। सारा जीवन स्वाहा कर देते हैं। जब आदमखोरी बंद कि गई तो मनुष्यों की बलि चढ़ना बंद हो गया नहीं तो बहुत ही मनुष्यों की बलि चढ़ाते थे! तो बाप समझाते हैं देखो कितने पद भ्रष्ट और कर्म भ्रष्ट हो गए! कन्याओं माताओं को सरेंडर करना वो तो वाजिब बात है। उन्हें तो कहीं न कहीं कोई न कोई ठिकाना लेना ही होता है उनको शरण देने की कोई बात नहीं है लेकिन पुरूषों को सरेंडर करने की क्या दरकार है? कहीं मुरली मे बोला है? कहीं बताया है शास्त्रों में? कहीं गायन हैं बैलपाल कन्हैया गाया हुआ है? नहीं। तो गोपाल कन्हैया गाया हुआ है वो भी तब जब समाज में कन्या माताओं की दुर्गति होती है उनके उपर अत्याचार होते हैं। तो बाप समझाते हैं इतने कर्म भ्रष्ट धर्म भ्रष्ट बन जाते हैं तो मेरा जन्म मगध देश में होता है!हें सिंध देश में नहीं होता? बंगाल में नही होता? कहाँ होता हैं? मगध देश में होता है। कब होता है जन्म? जब मनुष्य ऐसे कर्म भ्रष्ट धर्म भ्रष्ट बन जाते हैं कि मनुष्य की भी बलि चढ़ाकर के उसको भूनके खा जाते हैं! स्वाहा करके खा जाते हैं। मैं मगध देश में आता हूँ यहाँ के मनुष्य मगरमच्छ के सदस्य होते हैं। मगरमच्छ क्या करता है?हें? मगरमच्छ नाम है बडे माछला का। जो जल जीवजंतु होते हैं उनमें बडे जंतु का नाम हैं मगरमच्छ! क्रोकोडाइल! जो छोटी छोटी मछलियों को खा जाता है। उसका मांस कोई नहीं खाता! गउं का भी मांस खाते हैं मुसलमान किसका मांस खाते हैं? गउं का मांस खाते हैं। कहाँ कघ यादगार? कैसे?हें? जो मुसलमान धर्म में कन्वर्ट होने वाली आत्माएं हैं उनकी बुद्धि मे ये नहीं आता ये ह्यूमन गउंवे ईश्वर के कार्य के लिए समर्पित हुई है इनका कितना मान रखना चाहिए। वो उनके जीवन को भी बरामद कर देते हैं। गउं की हत्या कर देते हैं। ईश्वरीय ज्ञान से विमुख हो जाती है। 

– मु.ता.18.05.1967 VCD 541 VISIT NOW-www.pbks.info 

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  • Devta

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