70 साल हो गए इस यज्ञ को चलते-चलते, कितनी ,वाचा की सेवा हुई? कितनी कर्मेंद्रिय की भाग दौड़ की सेवा हुई? परिवर्तन कितना आया? हमारा अपना परिवर्तन कितना हुआ? समाज में कितना परिवर्तन हुआ? देश में क्या परिवर्तन आया? और दुनिया में क्या परिवर्तन आया? पॉम्प एंड शो बढ़ा लिया, वह अलग बात है लेकिन अंदरूनी परिवर्तन कितना हुआ? कुछ भी नहीं। कोई कहे 70 साल हो गए तब तो कुछ परिवर्तन नहीं हुआ, 30 साल में हो जाएगा इसकी क्या गारंटी? इसका जवाब यह है_ जैसे पूरी कढ़ाई में डाली जाती है गरम-गरम तेल में, जब तक पूरा पकती नहीं है तब तक नीचे रखी रहती है। जब पक जाती है तो फूल कर ऊपर आ जाती है। ऐसे ही यह राजयोग है। गुप्त ज्ञान है और गुप्त याद है।यह अंदर-अंदर पक रहा है। पकते पकते पकते,जब नंबरबार आत्माएं प्रत्यक्ष होगी, तो उनकी ताकत भी संसार में प्रत्यक्ष होने लगेगी। राजयोगी नंबर बार प्रत्यक्ष होने लगेंगे। 9 सितारे सारी दुनिया में विनाश के टाइम पर ज्ञान की और योग की चमक मारेंगे। जैसे पारस पत्थर का गायन है_ वह पारस पत्थर, जहां भी लोहे को छू देता था, सोना बन जाता था। यह तो एक गायन बनाया हुआ है वास्तव में बात बेहद की है। जो बेहद की पत्थर बुद्धि आत्माएं हैं जब ऐसी संपन्न पारस बुद्धि आत्माओं के संसर्ग संपर्क में आवेंगी, दृष्टि के संपर्क में आवेगी,वाचा के संपर्क में आवेगी, तन के संपर्क में आवेगी, तो खट से उनका परिवर्तन हो जावेगा। कितना भी कोई विरोधी क्यों ना हो, संग के रंग में आने से उनको संग का रंग न लगे, यह हो नहीं सकता। ऐसा वाइब्रेशन परिवर्तन करने वाली संपन्न आत्माएं बन जावेगी, लेकिन बनेगी नंबरवार। जिन्होंने जितनी ईश्वरीय ज्ञान की गहरी पढ़ाई पढ़ी होगी, उनका उतना उतना परिवर्तन होता जाएगा। और वह परिवर्तन प्रत्यक्ष दिखाई देगा, ऐसे नहीं अंत तक गुप्त रहेगा, नहीं।
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बाप कहते है_मैं कोई प्रकार की अंधश्रद्धा नहीं सिखाता हूँ। अंधश्रद्धा भक्ति मार्ग में सिखाई जाती है गुरुओं के द्वारा। मैं तो हर बात के हिज्जे हिज्जे करके समझाता हूँ। जो भी पढ़ाई पढ़नी हैं यहाँ पढ़ाई पढ़नी हैं। पढ़ाई की प्रारब्ध भी यहाँ प्राप्त करनी है। लेकिन बात को गहराई तक समझना है। जो यहाँ जितने निश्चय बुद्धि बनेंगे वो बाप के यहाँ अमर बच्चे बनेंगे। बार बार मरते रहेंगे, बार बार अनिश्चय बुद्धि होते रहेंगे तो क्या होगा? कौन सी लिस्ट में जावेंगे? अमरनाथ के बच्चे बनेंगे या ब्रह्मा के बच्चे बनेंगे? ब्रह्मा मृत्युलोक मे खलास हो जाता है शंकर के लिए ऐसे नहीं कहते, कि शंकर मृत्युलोक मे खलास हो जाता है। विष्णु के लिए भी नहीं कहते। विष्णु और शंकर ये दो मूर्तियां ऐसी है जिनकी मंदिरों में पूजा होती है इनकी मूर्तियां बनती हैं इनके मंदिर बनाए जाते हैं यादगार मंदिर ,अभी भी बने हुए हैं। ब्रह्मा का भी मंदिर बना हुआ है लेकिन वो सिर्फ एक ही है, उस मंदिर में भी जाने वाले जिज्ञासु पूजा नहीं करते हैं। कौन पूजा करते हैं? जो वहाँ मंदिर में रहनेवाले पूजारी हैं पंडे हैं, वो ही पूजा करते हैं। कहां की यादगार? संगम युग में ब्रह्मा कुमार कुमारियाँ कहते हैं, कि हमारा गीता का भगवान बाप आया हुआ है। गीता का भगवान साकार मे बाप आया तो आया तो कहाँ गया? जवाब नहीं। गीता का भगवान आया गीता का ज्ञान सुनाकर के चला गया। अब हम गीता ज्ञान पढ़ रहे हैं। अरे धर्मपिताएं भी आये वो भी अपना अपना ज्ञान सुनाकर के चले गए परिवर्तन तो दुनिया का नहीं हुआ। जब दुनिया का परिवर्तन ही नहीं हुआ तो फिर भगवान के आने मे और धर्मपिताओं के आने मे अंतर किस बात का हुआ? भगवान को दुनिया याद क्यों करती है? धर्मपिताएं भी भगवान को मानते हैं, वो भी गॉड फादर को मानते हैं क्राइस्ट भी अपने को भगवान नहीं कहता था गुरु नानक भी अपने को भगवान नहीं कहते थे।इसका मतलब धर्मपिताओं से भी ऊंचा गॉड फादर हैं। वो गॉड फादर इस सृष्टि पर आकर के परिवर्तन करके जाता है। वो परिवर्तन शक्ति उस बाप मे है, जो नर्क की दुनिया को स्वर्ग बनाता है। नर्क की दुनिया और ही नर्क बनती चली जाए, तो भगवान के आने का फायदा क्या हुआ? शास्त्रों में भी उन्होंने ऐसी ऐसी बातें लिख दी है, कि भगवान कृष्ण द्वापर के अंत में आये महाभारत युद्ध कराया रिजल्ट क्या हुआ? पापी कलियुग की स्थापना करके चले गए। अरे, भगवान पापी कलियुग की स्थापना करने के लिए आता है? पाप की दुनिया बनाने के लिए आता है क्या? अरे भगवान को ट्रूथ गॉड फादर कहा जाता है सत्य नारायण की आकर के कथा सुनाता है। सत्य नारायण की जीवन कहानी सुनाता है। नर से सत्य नारायण बनाने आता है, तो वो सतयुग की स्थापना करके जावेगा या कलियुग की स्थापना करके जावेगा? वो तो आता ही है सत्य बाप सच्चखंड की स्थापना करने के लिए और झूठखंड का विनाश करने के लिए आता है।