ईश्वरीय संदेश -भगवान साकार में आया हुआ है। कलयुग जाने वाला है। सतयुग आने वाला है। आध्यात्मिक ज्ञान (AIVV)

ईश्वरीय संदेश -भगवान साकार में आया हुआ है। कलयुग जाने वाला है। सतयुग आने वाला है। आध्यात्मिक ज्ञान (AIVV)

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  • 13 August 2024
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भगवान साकार में आया हुआ है। कलयुग का विनाश होने वाला है। सतयुग आने वाला है।

भगवतगीता के अनुसार

1. “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।” (गी. 4/7) अर्थात जब धर्म की ग्लानि होती है, अधर्म या विधर्म बढ़ता है, तब मैं आता हूं। धर्म की व्याख्या अर्थात् एक भाई भगवान को सर्व भाई बताते हैं। जैन और वैदिक प्रक्रिया के अनुसार कलियुग के अंत में ही धर्म की व्याख्या होती है; क्योंकि कलियुग-अंत तक अनेक धर्म स्थापित हो गये हैं और सभी धर्म चौथे युग की चौथी अवस्था में तमोप्रधान बन गये हैं; क्योंकि सृष्टि रूपी सामान्य मकान या वृक्ष की हर चीज चतुर्युगी की तरह सत्त्व प्रधान, सत्त्व, रजो और तामसी- इन 4 स्तरों में से एक है।

2. “सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप॥” (गीता 7/27) अर्थात् सभी जीव कल्पान्त काल/चतुर्युगान्त में सम्पूर्ण मूढ़ता को प्राप्त होते हैं।
3. अवजानन्ति मां मूढ़ा मानुषी तनुमश्रितम्। वो मूक धार्मिक के ईश्वर-समान स्वरूप को जल्दी पहचान नहीं पाते हैं।

शास्त्रानुसार कलियुगान्त में कल्कि अवतार

कलियुग के अंत में भगवान का गायन कल्किधर के रूप में होता है, तो निश्चित रूप से उनके ऊपरी प्रेक्टिकल में शैलों की दरारें पड़ जाती हैं, इसलिए सभी कलियों को धारण करने वाले भगवान कल्किधर कहलाते हैं | जिसने भगवान को कहा, उसी ने भागवत को बनाया, और जिसने भगवान को कहा, उसी ने कलकीधर को भगवान बनाया।

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भविष्यवक्ताओं ने भी कहा नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक सेंचुरीज़ में भविष्यवक्ताओं का वर्णन किया है -

  • एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा । (X-75)
  • इस राजनेता का नाम ‘वरण’ या ‘शरण’ होगा । (सेंचुरी V-27)
  • शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान ‘शायरन’ । उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पायेगा । (V-70)
  • साम्प्रदायिकता और शत्रुता के एक लम्बे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी । (6-10)
  •  तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पति वार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा । उसकी प्रशंसा और प्रसिद्धी, सत्ता और शक्ति बढती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा । (सेंचुरी 1-50 वां सूत्र) 

नास्त्रेदमस की भविष्य वाणियों के ज्ञाता महाराष्ट्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. रामचंद्र जोशी ने इस पर एक मराठी में पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक का नाम है – ‘‘21 व्या शतकाकडे झेपावतांना जगातील सर्वश्रेष्ठ भविष्यवेत्ता मायकल द नास्त्रेदमस (नास्त्रेदमस) यांचे जागतिक स्तरावरचे भविष्य’’। इस पुस्तक के पृष्ठ-32-33 पर नास्त्रेदमस की सेंचुरी का हवाला देते हुए लिखते हैं कि- ‘ठहरो स्वर्णयुग (रामराज्य) आ रहा है’। महासत्ता अधिकारी भारत ही नहीं, सारी पृथ्वी पर स्वर्णयुग लाएगा और अपने सनातन धर्म का पुनरुत्थान करके यथार्थ सर्वश्रेष्ठ हिन्दू राष्ट्र बनाएगा।

kalki puran

कल्कि पुराण :-

स्वतंत्रता के बाद भारत में एक ऐसे महापुरुष का उदय होगा, जो वैज्ञानिकों का भी वैज्ञानिक होगा। वह आत्मा और परमात्मा के रहस्य को प्रगट करेगा। आत्मज्ञान उसकी देन होगी। उसकी वेश-भूषा साधारण होगी। उसका स्वास्थ्य बालकों जैसा, योद्धाओं की तरह साहसी, अश्विनी कुमारों की तरह वीर युवा व सुन्दर, शास्त्रों का प्रकाण्ड पण्डित व मानवतावादी होगा।

अरब राष्ट्रों सहित मुस्लिम बहुल राज्यों में आपसी क्रांतियाँ और भीषण रक्तपात होंगे। इस बीच भारतवर्ष में जन्मे महापुरुष का प्रभाव व प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यह व्यक्ति इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मसीहा होगा। वह एक मानवीय संविधान का निर्माण करेगा, जिसमें सारे संसार की एक भाषा, एक संघीय राज्य, एक सर्वोच्च न्यायपालिका, एक झण्डे की रूप-रेखा होगी।

एण्डरसन(अमेरिका):-

अरब राष्ट्रों सहित मुस्लिम बहुल राज्यों में आपसी क्रांतियाँ और भीषण रक्तपात होंगे। इस बीच भारतवर्ष में जन्मे महापुरुष का प्रभाव व प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यह व्यक्ति इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मसीहा होगा। वह एक मानवीय संविधान का निर्माण करेगा, जिसमें सारे संसार की एक भाषा, एक संघीय राज्य, एक सर्वोच्च न्यायपालिका, एक झण्डे की रूप-रेखा होगी।

julbarn

जूलबर्ण:-

संसार के सबसे समर्थ व्यक्ति का अवतरण हो चुका है। वह सारी दुनिया को बदल देगा। उसकी आध्यात्मिक क्रांति सारे विश्व में छा जाएगी।…… एक ओर संघर्ष होंगे, दूसरी ओर एक नई धार्मिक क्रांति उठ खड़ी होगी जो आत्मा और परमात्मा के नए-2 रहस्य को प्रगट करेगी। …..वह महापुरुष 1962 से पूर्व जन्म ले चुका है। उसके अनुयायी एक समर्थ संस्था के रूप में प्रगट होंगे और धीरे-2 सारे विश्व में अपना प्रभाव जमा लेंगे। असंभव दिखने वाले कार्य को भी वे लोग उस महापुरुष की कृपा से बड़ी सरलता से संपन्न करेंगे।

Professor Cheiro

जूलबर्ण:-

भारत का अभ्युदय एक सर्वोच्च शक्ति के रूप में हो जाएगा; पर उसके लिए उसे बहुत कठोर संघर्ष करने पड़ेंगे। देखने में यह स्थिति अत्यंत कष्टदायक होगी; पर इस देश में एक फरिश्ता आएगा जो हज़ारों छोटे-2 लोगों को इकट्ठा करके उनमें इतनी आध्यात्मिक शक्ति भर देगा कि वे लोग बड़े-2 बुद्धिजीवियों की मान्यता मिथ्या सिद्ध कर देंगे।

gopi nath shastri

गोपीनाथ शास्त्री:-

अवतारी महापुरुष द्वारा जबरदस्त वैचारिक क्रांति होगी, जिसके फलस्वरूप शिक्षण पद्धति बदल जाएगी …..वर्तमान शिक्षा प्रणाली केवल पेट भरने तक ही सीमित है। …..कथित आत्मज्ञानहीन बुद्धिजीवियों से लोगों की घृणा होगी। ….भारतवर्ष का एक ऐसा धार्मिक संगठन नेतृत्व करेगा, जिसका मार्गदर्शक स्वयं भगवान होगा। धार्मिक आश्रम जन जागृति के केंद्र बनकर कार्य करेंगे।

ग्रेरार्ड क्राईसे (हॉलैंड):- भारत देश में एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ है, जो विश्व कल्याण की योजनाएँ बनाएगा।

kalyug ki nishani

कलियुग अंत की निशानी में मारकण्डेय ऋषि चेतावनी देते हुए कहते हैं :-

  1. कलियुग के अंतिम भाग में प्रायः सभी मनुष्य मिथ्यावादी हो जाते हैं। शासन में छली, पापी, असत्यवादी लोग प्रमुखता पाए जाते हैं।
  2. वृक्षों पर फल और फूल बहुत कम हो जाएँगे और उन पर बैठने वाले पक्षियों की विविधता भी कम हो जाएगी। ऋतुएँ अपने-2 समय का परिपालन त्याग देंगी। वन्य जीव, पशु-पक्षी अपने प्राकृतिक निवास की बजाए नागरिकों के बनाए बगीचों और विहारों में भ्रमण करने लगेंगे। संपूर्ण दिशाओं में हानिकारक जन्तुओं और सर्पों का बाहुल्य हो जाएगा। वन-बाग और वृक्षों को लोग निर्दयतापूर्वक काट देंगे।
  3. युवक अपनी युवावस्था में ही बूढ़े हो जाएँगे, 16 वर्ष में ही उनके बाल पकने लगेंगे। उनका स्वभाव बचपन और किशोरावस्था में ही बड़ों जैसा दिखने लगेगा। 
  4. चारों ओर अपराध और रक्तपात का बोलबाला हो जाएगा। हिंसा में लोगों का मन ज़्यादा लगेगा। अधर्म-ही-अधर्म चारों ओर फैल जाएगा और जो धर्म में तत्पर होगा, उसके समक्ष कठिनाइयाँ-ही-कठिनाइयाँ खड़ी हो जाएँगी, उसका जीवन अत्यंत कठिन हो जाएगा। धर्म तो कहीं टिकेगा ही नहीं, धर्म का बल घट जाएगा और अधर्म बलवान हो जाएगा।
  5. भूमि में बोये हुए बीज ठीक प्रकार से नहीं उगेंगे। खेतों की उपजाऊ शक्ति समाप्त हो जाएगी। लोग तालाब-चारागाह, नदियों के तट की भूमि पर भी अतिक्रमण करेंगे। समाज खाद्यान्न के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाएगा।
  6. बाजार में झूठे माप-तौल के आधार पर विक्रय प्रक्रिया स्थापित हो जाएगी। व्यवसायी भी बहुत धूर्त होंगे। सत्य और ईमानदारी पर चलने वाले धर्मात्मा दरिद्रता का जीवन जीने को विवश होंगे।
  7. लोग सड़कों पर रात बितायेंगे।
  8. मनुष्यों में पशुओं और न करने योग्य भोगों (समलिंगी) के साथ अप्राकृतिक यौनाचार बढ़ने लगेगा।
  9. लोग कन्याओं की चाह रखना बंद कर देंगे।
  10. कन्यादान पूर्वक विवाह प्रथा की जगह युवक-युवती स्वयं निर्णय लेकर साथ रहने लगेंगे; पर वे एक-दूसरे के विचार-व्यवहार-कार्य को ज़्यादा नहीं सहेंगे। दूसरे पुरुषों और नारियों से मित्रता में उन्हें आनंद आएगा। अपनों के प्रति वे कठोर हो जाएँगे।
  11. अमावस्या के बिना ही राहू सूर्य पर ग्रहण लगाएगा।
  12. गरीब लोग और अधिकांश प्राणी भूख से बिलबिलाकर मरने लगेंगे। चारों ओर प्रचण्ड तापमान, संपूर्ण तालाबों, सरिताओं और नदियों के जल को सूखा देगा। लंबे काल तक पृथ्वी पर वर्षा होनी बंद हो जाएगी।
  13. गौवंश जब नष्ट होने लगेगा तब समझ लेना कि युगान्त काल उपस्थित हो गया है।
महाभारत युद्ध

ये महाभारत युद्ध कोई द्वापर में नहीं हुआ है - With Proof

  1. कुरुक्षेत्र तो एक छोटा-सा जिला है, जहाँ 18 अक्षौहिणी सेना का खड़ा होना भी असम्भव है, फिर युद्ध तो बहुत दूर की बात है।
  2. महाभारत ऐसा हिंसक युद्ध जिसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं जिसके किरदारों की जन्म की कोई तिथी, तारीख नहीं। और कई पात्रों का जन्मों को अप्राकृतिक दिखाया जैसे द्रौपदी का जन्म अग्नि से हुआ, घड़े से बच्चे का जन्म हुआ आदि। जबकि गीता में भगवान ने कहा है सिर्फ मेरा दिव्य जन्म बाकी किसी के लिए नहीं कहा है।
  3. 5000 वर्ष पुरानी विश्व विख्यात ग्रीस, मेसापोटामिया, सिंधू घाटी और हडप्पा सभ्यताओं में महाभारत का कोई प्रमाण नहीं, ना महाभारत ग्रंथ में इन सभ्यताओं का कोई जिक्र है। एक ही समय पर होने वाली दोनों घटनाओं का आपस में कोई ताल-मेल नहीं है
  4. ”सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज” इन सब धर्मों को छोड़ मुझ एक की शरण में आ जा । विचार कीजिये कि क्या द्वापर में सभी धर्म मौजूद थे?? जब सभी धर्म मौजूद होंगे, तभी तो सभी धर्मों को छोड़ने की बात होगी, द्वापुर में तो सब धर्म मौजूद ही नहीं थे । अनेक धर्मों की स्थापना, ढाई हजार वर्ष के अंदर ही हुई है, फिर 5000 वर्ष द्वापुरयुग होना या अनेक धर्म होना कैसे संभव हो सकता है??
  5. ”जगत विपरिवर्तते” मेरी अध्यक्षता से संसार विपरीत गति को जाता है अर्थात् कलियुग से सतयुग की ओर, फिर द्वापुर के बाद तो विपरीत गति नहीं हुई । और सृष्टि का पतन हुआ, प्रमाणित मानवीय इतिहास में मनुष्य और ही अधर्मी, कामी, पाखंडी, अभिमानी, क्रोधी, अहंकारी, पशुओं के समान हिंसा का आचरण करने वाले हो गए। क्या भगवान हिंसक युद्ध कराकर पापी कलियुग की स्थापना करते???

 

वास्तव में यह सामने खड़े सन्नद्ध चतुर्थ विश्वयुद्ध वाले मौसलिक/मिसाइल्स के और तृतीय विश्वयुद्ध वाले महाभारत युद्ध के आसार वर्तमान समय की बात है।

महाभारी महाभारत गृहयुद्ध”। जिसके आसार अभी भारत में देखे जा रहे हैं।

  1. भारत वर्ष में जितनी राजनीतिक पार्टियाँ पनप रही हैं, उतनी दुनिया के किसी भी देश में राजनीतिक पार्टियों की संख्या ज्यादा नहीं है। तो सब आपस में लड़ रहे हैं।
  2. भारत वर्ष में जितने धर्म की आत्मायें ज्यादा से ज्यादा संख्या में पनप रही हैं इतनी ज्यादा से ज्यादा धर्म के धर्मावलंबी दूसरे देशों में नहीं हैं। क्रिश्चियन धर्म खंड है तो वहाँ क्रिश्चियन ही ज्यादा होंगे, दूसरे धर्म खंड के लोग ना के बराबर। बौद्धी धर्म खंड होगा तो बौद्धी धर्म के फालोअर्स ही वहाँ ज्यादा होंगे। जैसे तिब्बत, दूसरे धर्म के लोग उतनी संख्या में, ज्यादा संख्या में नहीं। एक दुनिया की एक ही ऐसी राजधानी है जहाँ सब धर्मों ने अपना राज्य जमाया है किया है दिल्ली में। आज भी देखा जाए तो दिल्ली एक ऐसा स्थान है जहाँ मंदिरों की जितनी बहुतायत है उतनी ही बहुतायत गिरजाघरों की भी है उतनी ही बहुतायत मस्जिदों की भी है उतनी ही बहुतायत गुरुद्वारों की भी है। माना हर धर्म का वर्चस्व जो है वो भारत में ज्यादा से ज्यादा पर्सेन्टेज में है, और दिल्ली उसकी कैपिटल है।
  3. तीसरा प्रूफ है जितने राज्य इस छोटे से देश में हैं और राज्यवाद के आधार पर जितना ये देश आपस में लड़ रहा है उतना दूसरे किसी देश में इतना झगड़ा नहीं है। जो एम.पी.के लोग हैं वो अपने राज्य को बहुत बढ़ावा देना चाहते हैं तमिलनाड़ के लोग हैं वो अपने राज्य को बहुत बढ़ावा दे रहे हैं यू.पी.के लोग हैं वो यू.पी.को ज्यादा बढ़ावा देना चाहते हैं, बंगाल के लोग हैं तो बंगाल को ज्यादा बढ़ावा देना चाहते हैं आंध्रप्रदेश के लोग हैं तो बस तेलगू देशम पार्टी ही सबकुछ बने संसार में वो ही सबकुछ है। ऐसा माहोल बनता चला जा रहा है।
  4. महाभारत अंतिम पर्व में लिखा है कि जब-2 घर-2 में महाभारत हो तो समझो महाभारत काल आ गया। घर-2 में महाभारत हो माना घर-2 में झगड़ा-टंटा हो। पति-पत्नी भी आपस में झगड़ते हैं। आज देखा जाए तो दुनिया में हर घर में महाभारत हो रही है। जो बात शास्त्रों में लिखी है वो आज प्रैक्टिकल में दिखाई दे रही है। भाई-2 आपस में लड़ रहे है, हर संबंध झूठे हो गए हैं।
  5. स्त्रियों का समाज में सम्पूर्ण पतन हो रहा है।(दुष्ट युद्ध करने वाले) दुर्योधन, दुःशासन अबलाओं पर बाहुबल चलाते हैं, ऐसे खराब काम करते हैं। अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं। कोई एक पारिवारिक द्रौपदी की बात नहीं, अनेकों कुंती-द्रौपदी समान कन्या-माताओं पर रोज़ बलात्कारी अत्याचार किया जाता है। जिस भारतवर्ष में नारियाँ पूजनीय मानी जाती थीं, उसी भारत में आज नारियों पर पशुओं के समान अत्याचार किया जाता है।

      मार्कण्डेय महाभारत में स्पष्ट प्रमाण है कि यह कलियुगांत और सत्युगादि के संगम पर होता है और पांडवों जैसी दिव्य आत्माओं द्वारा सतयुग आरम्भ होता है ।

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