अमृतवेले का महत्त्व- Adhyatmik Gyan

अमृतवेले का महत्त्व- Adhyatmik Gyan

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  • 18 June 2025
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अमृतवेला: महत्त्व और लाभ

यह मार्गदर्शिका अमृतवेला के महत्व, लाभों और अभ्यास को समझने के लिए बनाई गई है, जैसा कि प्रदान किए गए स्रोतों में वर्णित है।

अवधारणा की समीक्षा

अमृतवेला ब्रह्म मुहूर्त का एक विशेष समय है, जो सुबह 2-3 बजे से 5 बजे के बीच होता है। इसे आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस समय को विशेष रूप से “फाउंडेशन टाइम” के रूप में वर्णित किया गया है, जो पूरे दिन के विचारों, कर्मों और अनुभवों की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।

अमृतवेला का समय:

  • ब्रह्म मुहूर्त: 2-3 बजे से 5 बजे तक।
  • “फर्स्ट क्लास वायुमंडल”: सुबह 2 से 5 बजे तक।
  • वरदान प्राप्त करने का विशेष समय: सुबह 4 बजे।

अमृतवेला का महत्व:

  • यह संगम युग की विशेष प्राप्ति को मिस न करने का अवसर है।
  • यह परिस्थितियों का समाधान और प्रतिक्रिया प्राप्त करने का समय है।
  • यह वरदानों का समय है, जब बापदादा स्वयं वरदान देने आते हैं।
  • यह प्रभु पालना (पालन-पोषण) और परमात्मा मिलन का समय है।
  • यह रुह-रुहान (आत्मा से आत्मा की बात) करने का समय है।
  • यह भोले भंडारी के वरदानों के खजाने से सहज वरदान प्राप्त करने का समय है।
  • यह बिना मेहनत के मन इच्छित फल और खुले खजाने प्राप्त करने का समय है।
  • यह पावर हाउस से पूरी शक्ति लेने और माया की बेहोशी से बचने के लिए एक बड़ा “इंजेक्शन” है।
  • यह स्वयं को अमृत से भरपूर करने का समय है, जिससे पूरे दिन के कर्म और संकल्प श्रेष्ठ होते हैं।
  • यह पूरे दिन के लिए “फाउंडेशन” का समय है।
  • यह याद (स्मृति) के लिए सबसे अच्छा वायुमंडल है।
  • यह शक्तिशालिनी स्मृति स्वरूप का अनुभव करने और विघ्नों से बचने का समय है।
  • यह अमर भव का वरदान प्राप्त करने का समय है, जिससे व्यक्ति हर्षित और शक्तिशाली रहता है।

मुख्य अभ्यास और लाभ

अभ्यास:

  • सुबह उठकर बाप को याद करो।
  • बाप से रुह-रुहान करो।
  • वरदान लेने के लिए अलर्ट रहो।
  • अपनी आत्मा को अमृत से भरपूर करो।
  • बार-बार रिवाइज़ करो: “मैं कौन हूँ! किसका हूँ?”
  • बाप के साथ कनेक्शन जोड़ो।

लाभ:

  • संगम की विशेष प्राप्ति को बनाए रखना।
  • सभी परिस्थितियों का समाधान मिलना।
  • कोई भी बात का तत्काल उत्तर प्राप्त करना।
  • बापदादा से सहज वरदान प्राप्त करना।
  • कभी कमज़ोर न होना।
  • ब्राह्मणों के लिए विशेष लाभ।
  • विश्व की आत्माओं के लिए भी लाभ, लेकिन बच्चों को पहला चांस।
  • मन इच्छित फल प्राप्त करना।
  • बिना मेहनत के खुले खजाने प्राप्त करना।
  • पूरे दिन माया की बेहोशी से बचना।
  • पूरे दिन श्रेष्ठ कर्म और संकल्प करना।
  • पूरे दिन शक्तिशाली और हर्षित रहना।
  • सहजयोगी की स्थिति बनाए रखना।
  • पढ़ाई और अमृतवेला का मिलन शक्तिशालिनी बनाता है।
  • अमर भव का वरदान प्राप्त करना।
  • विघ्नों से मुरझाना नहीं।
स्रोत अमृतवेला के संदर्भ में कई प्रकार की आवश्यकताओं और उनकी पूर्ति के विषय में जानकारी देते हैं, साथ ही यह भी बताते हैं कि अमृतवेला का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति की ओर से क्या ‘आवश्यकताएँ’ हैं:
अमृतवेला में पूरी होने वाली आवश्यकताएँ (जो प्राप्त किया जा सकता है):
 
वरदानों की प्राप्ति: अमृतवेला वह समय है जब बापदादा सभी बच्चों को सहज ही वरदान देते हैं। इस समय जो भी वरदान चाहिए, वह बापददा से मिल जाता है। यह वरदानदाता का विशेष समय होता है। यदि आप प्रतिदिन वरदान लेते रहते हैं, तो कभी कमजोर नहीं हो सकते। यह वरदानों का समय है
 
मनोवांछित फलों की प्राप्ति: जो कुछ भी चाहिए, वह अमृतवेला में मिल सकता है। यह बिना मेहनत के खुले खजाने प्राप्त करने का समय है। इसे मन इच्छित फल प्राप्त करने का समय भी बताया गया है
 
समस्याओं का समाधान: अमृतवेला में उठकर बाप से रूह-रूहान करने से सभी परिस्थितियों का हल स्पष्ट दिखाई देगा। कोई भी बात हो, उसका जवाब रूह-रूहान में मिल जाएगा
 
शक्तियों और प्राप्तियों का अनुभव: अमृतवेला पावर हाउस से फुल पावर लेने का एक बड़ा इंजेक्शन है। अमृतवेला का कनेक्शन सर्व पावर्स और सर्व प्राप्तियों का अनुभव कराता है, जिसे सबसे बड़ा इंजेक्शन कहा गया है। इस समय आत्मा को अमृत से भरपूर करने से सारा दिन कर्म और संकल्प श्रेष्ठ रहते हैं
 
सुरक्षा और स्थिरता: अमृतवेला में बाप से कनेक्शन जोड़ने से सारा दिन माया की बेहोशी से बचे रहेंगे। शक्तिशाली स्मृति स्वरूप का अनुभव करने वाले सदा शक्तिशाली रहते हैं। अमृतवेला को ठीक करने से सब ठीक हो जाएगा और अमर भव का वरदान प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति हमेशा हर्षित और शक्तिशाली रहता है। यदि अमृतवेला का लाभ न लिया जाए, तो बाद में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी
अमृतवेला का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति की ‘आवश्यकताएँ’ (जो करना है):
 
अलर्ट रहना: वरदान लेने के लिए व्यक्ति को ‘अलर्ट’ रहना आवश्यक है, अन्यथा बापदादा चक्कर लगाकर चले जाएंगे और आप सोचते रह जाएंगे। यदि वरदानों के समय कोई सोया रहे, सुस्ती में रहे, या विस्मृति में रहे, या कमजोर होकर बैठे, तो वह वरदानों से वंचित हो जाएगा
 
याद और रूह-रूहान: सुबह उठकर बाप को याद करना चाहिए। अमृतवेला में बाप से रूह-रूहान करने से सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। बाप से कनेक्शन ठीक होना चाहिए। अमृतवेला में ‘मैं कौन हूँ! किसका हूँ?’ इसका बार-बार रिवाइज़ करना और शक्तिशाली स्मृति स्वरूप का अनुभव करना आवश्यक है, इससे व्यक्ति सदा शक्तिशाली रहता है
 
समय का सदुपयोग: अमृतवेला को मिस करने का अर्थ है संगम की विशेष प्राप्ति को खत्म करना। यह ब्रह्माकुमारों (ब्राह्मणों) के लिए विशेष और निर्धारित समय है। अमृतवेला सारे दिन के समय का फाउंडेशन है; यदि फाउंडेशन कमजोर या साधारण डाला जाएगा, तो ऊपर की बनावट भी वैसी ही होगी। अमृतवेला में वायुमंडल अच्छा होता है और दिन के किसी भी समय बैठने से अमृतवेला जैसा अनुभव नहीं होता। अमृतवेला और पढ़ाई का मिलन दोनों ही विशेष रूप से सदा शक्तिशाली रहने चाहिए, तभी व्यक्ति सदा सुरक्षित रहेगा
अमृतवेला में “जो भी चाहिए मिलता है”:
 
वरदानों की प्राप्ति: अमृतवेला में, विशेषकर सुबह 4 बजे, बापदादा सभी बच्चों को सहजता से वरदान देते हैं। यह वरदानदाता का विशेष समय होता है। जो भी वरदान चाहिए, वह बापदादा से मिल जाता है। यदि प्रतिदिन वरदान लेते रहते हैं, तो कभी कमजोर नहीं हो सकते। यह वरदानों का समय है
 
मनोवांछित फल और खजाने: अमृतवेला को “मन इच्छित फल” प्राप्त करने का समय बताया गया है। यह बिना मेहनत के खुले खजाने प्राप्त करने का वेला है। जो कुछ भी चाहिए, वह अमृतवेला में मिल सकता है
 
समस्याओं का समाधान: अमृतवेला में उठकर बाप से रूह-रूहान (आत्मिक वार्तालाप) करने से सभी परिस्थितियों का हल स्पष्ट दिखाई देता है, और कोई भी बात हो, उसका जवाब रूह-रूहान में मिल जाता है
 
शक्तियों और प्राप्तियों का अनुभव: अमृतवेला पावर हाउस से फुल पावर लेने का एक बड़ा इंजेक्शन है। अमृतवेला का कनेक्शन सर्व पावर्स और सर्व प्राप्तियों का अनुभव कराता है, जिसे सबसे बड़ा इंजेक्शन कहा गया है
इन प्राप्तियों के लिए ‘पात्र बनना’ (आवश्यक शर्तें और क्रियाएँ):
‘पात्र बनना’ का अर्थ है अमृतवेला के लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वयं को तैयार रखना और निर्धारित क्रियाओं को अपनाना। स्रोत इस ‘पात्रता’ को विभिन्न तरीकों से स्पष्ट करते हैं:
 
अलर्ट रहना: वरदान लेने के लिए व्यक्ति को ‘अलर्ट’ (जागरूक/सतर्क) रहना अत्यंत आवश्यक है। यदि कोई अलर्ट नहीं रहता, तो बापदादा चक्कर लगाकर चले जाते हैं और व्यक्ति सोचता रह जाता है। वरदानों के समय यदि कोई सोया रहे, सुस्ती में रहे, या विस्मृति (भूले हुए) रहे, या कमजोर होकर बैठे, तो वह वरदानों से वंचित हो जाएगा
 
शक्तिशाली और सफल अमृतवेला: अमृतवेला को पावर हाउस से फुल पावर लेने का नियम बताया गया है, और इस “इंजेक्शन” की कमी नहीं होनी चाहिए; कनेक्शन ठीक होना चाहिए। अमृतवेला में अपनी आत्मा को अमृत से भरपूर करने से सारा दिन कर्म और संकल्प श्रेष्ठ रहते हैं। यदि अमृतवेला को साधारण रीति से चलाया जाए, तो सारा दिन संकल्प और कर्म भी साधारण ही चलते हैं। अमृतवेला सारे दिन के समय का फाउंडेशन है; यदि फाउंडेशन कमजोर या साधारण होगा, तो ऊपर की बनावट भी वैसी ही होगी
 
निरंतरता और सुरक्षा: अमृतवेला और पढ़ाई का मिलन दोनों ही विशेष रूप से सदा शक्तिशाली रहने चाहिए, तभी व्यक्ति सदा सुरक्षित रहेगा। अमृतवेला को ठीक करने से सब ठीक हो जाएगा और अमर भव का वरदान मिल जाता है, जिससे व्यक्ति हमेशा हर्षित और शक्तिशाली रहता है और विघ्नों में मुरझाता नहीं। यदि यह अमर भव का वरदान अमृतवेला में न लिया जाए, तो बाद में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी
 

अमृतवेला का महत्व: एक विस्तृत विश्लेषण

अमृतवेला के महत्व पर गहनता से प्रकाश डालते हैं, जिसे ब्राह्ममुहूर्त (2 से 5 बजे सुबह) के रूप में परिभाषित किया गया है। यह समय आध्यात्मिक उत्थान, परमात्मा से संबंध स्थापित करने और वरदान प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया गया है।

मुख्य विषय और महत्वपूर्ण बिंदु:

1. अमृतवेला: ब्राह्ममुहूर्त और उसका माहौल:

  • अमृतवेला को सुबह 2 बजे से 5 बजे के बीच का समय बताया गया है, जिसे “ब्राह्म मुहूर्त” कहा जाता है। (सा-मु-11-5-88- पृ 3 मध्यादि)
  • इस समय का वायुमंडल (वातावरण) विशेष रूप से शुद्ध और शक्तिवर्धक होता है, जो याद (स्मृति) के लिए सर्वोत्तम है। “उस समय वायुमंडल अच्छा होता है। दिन में भले कितना समय भी बैठो, परंतु अमृतवेला जैसा समय नहीं है।” (सा-मु- 5-11-01-पृ1 अंत)

2. अमृतवेला चूकने का परिणाम:

  • अमृतवेला को चूकना “संगम की विशेष प्राप्ति को खत्म करना” जैसा है। (अ-वा-16-1-78)
  • यदि अमृतवेला शक्ति शाली नहीं होता है, तो “सारे दिन में भी बहुत विघ्न आयेंगे।” (अ-वा- 22@2@84 पृ-155)
  • यदि इस श्रेष्ठ वेला को साधारण रीति से चला लेते हैं, तो “सारा दिन संकल्प और कर्म भी साधारण ही चलते हैं।” (अ-वा-24@6@72)

3. परमात्मा से रूह-रूहान और समस्याओं का समाधान:

  • अमृतवेला में उठकर बाप (परमात्मा) को याद करने और उनसे रूह-रूहान (आध्यात्मिक बातचीत) करने पर बल दिया गया है। “सुबह उठकर बाप को याद करो।” (सा-मु-24-4-91-पृ 3 अंत)
  • रूह-रूहान से “सब परिस्थितियों का हल स्पष्ट दिखाई देगा।” और “कोई भी बात हो उसका रेस्पोंड रूह रूहान में मिल जायेगा।” (अ-वा-14@2278 पृ- 48)
  • यह “विशेष प्रभु पालना का वेला है।” और “परमात्मा मिलन का वेला है।” (अ-वा-19-03-86)

4. वरदानों की प्राप्ति का विशेष समय:

  • अमृतवेला को वरदानों का समय बताया गया है, जहाँ “बापदादा सभी बच्चों को सहज ही वरदान देते हैं।” (अ-वा-2-2-11 इ-3 अं-)
  • 4 बजे का समय वरदान दाता (परमात्मा) का विशेष पार्ट होता है। “जो भी वरदान चाहिए वह बापदादा दे देते हैं।” (अ-वा-2-2-11 इ-3 अं-)
  • ब्राह्मणों के लिए यह “स्पेशल (Special विशेष) समय फिक्स (Fix-नियुक्त) है।” और “अमृतवेला विशेष बच्चों के प्रति है, फिर विश्व की आत्माओं प्रति। पहला चांस बच्चों का है।” (अ-वा-26-4-77)
  • “रोज अमृतवेला बाप वरदान देते हैं; अगर रोज वरदान लेते रहो तो कभी भी कमजोर नहीं हो सकते।” (अ-वा-26-4-77)
  • यह “भोले भंडारी के वरदानों के खजाने से सहज वरदान प्राप्त होने का वेला है।” और “बिना मेहनत के खुले खजाने प्राप्त करने का वेला है।” (अ-वा-19-03-86)
  • हालांकि, वरदान प्राप्त करने के लिए “आप सभी भी वरदान लेने के लिए अलर्ट रहना। अगर अलर्ट नहीं रहे तो बापदादा चक्र लगाकर चला जायेगा और आप सोचते रहेंगे।” (अ-वा-2-2-11 इ-3 अं-)
  • “यह वरदानों का समय। वरदानों के समय अगर कोई सोया रहे, सुस्ती में रहे वा विस्मृति रहे, कमजोर होकर बैठे तो वरदानों से वंचित हो जायेगा।” (अ-वा-7-5-64)

5. अमृतवेला: एक शक्तिशाली इंजेक्शन और पूरे दिन का आधार:

  • अमृतवेला को “पावर हाउस से फुल पावर लेने का जो नियम है उसको बार बार चेक करो यही बड़ी इन्जेक्शन है।” (अ-वा-08- 07- 73-)
  • “अमृतवेला बाप से कनेक्शन जोड़ लिया तो सारा दिन माया की बेहोशी से बचे रहेंगे।” (अ-वा-08- 07- 73-)
  • अमृतवेला का कनेक्शन ही “सर्व पावर्स का और सर्व प्राप्तियों का अनुभव होना यह बड़े से बड़ा इन्जेक्शन है।” (अ-वा-08- 07- 73-)
  • अमृतवेला को “सारे दिन के समय का फाऊंडेशन वेला” बताया गया है। “अगर फाऊंडेशन कमजोर वा साधारण डालेंगे तो ऊपर की बनावट भी आटोमेटिकली ऐसी होगी।” (अ-वा-24@6@72)
  • यदि अमृतवेला को ठीक किया जाता है, तो “सभी ठीक हो जायेगा।” (अ-वा-8@7@73 पृ- 98)

6. अमर भव का वरदान और निरंतर शक्ति:

  • “जैसे अमृत पीने से अमर बन जाते हैं तो अमृतवेला को सफल करने से अमर भव का वरदान मिल जाता है।” (अ-वा-8@7@73 पृ- 98)
  • इस वरदान को प्राप्त करने से “फिर सारा दिन कोई भी विघ्नों में मुरझायेंगे नहीं।” और “सदा हर्षित रहने में और सदा शक्तिशाली बनने में अमर रहेंगे।” (अ-वा-8@7@73 पृ- 98)
  • यदि यह वरदान नहीं लिया जाता, तो “फिर मेहनत बहुत करनी पड़ेगी।” (अ-वा-8@7@73 पृ- 98)
  • अमृतवेला में “शक्तिशाली स्मृति स्वरूप का अनुभव करने वाले सदा ही शक्तिशाली रहते हैं।” (अ-वा- 22@2@84 पृ-155)

7. आत्म-स्मृति और सहजयोगी स्थिति:

  • अमृतवेला में अपनी आत्मा को अमृत से भरपूर करने से “सारा दिन कर्म भी ऐसे होंगे। जैसी वेला श्रेष्ठ, अमृत श्रेष्ठ वैसे ही हर कर्म और संकल्प भी सारा दिन श्रेष्ठ होगा।” (अ-वा-24@6@72)
  • “मैं कौन हूं! किसका हूं?” का बार-बार रिवाइज़ करना अमृतवेला में शक्ति शाली बनाता है। (अ-वा- 22@2@84 पृ-155)
  • जो अमृतवेला में वरदान लेता है, “उसका सारा दिन सहजयोगी की स्थिति में रहता है।” (अ-वा- 22@2@84 पृ-155)

निष्कर्ष:

संक्षेप में, यह स्रोत अमृतवेला को आध्यात्मिक साधना, आत्म-परिवर्तन और परमात्मा से जुड़ने का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली समय मानता है। इसे एक “इन्जेक्शन” और “फाऊंडेशन” के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के पूरे दिन के अनुभव, कर्मों और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। इस समय का सदुपयोग करने से व्यक्ति को सहज वरदान, आंतरिक शक्ति और अमर भव की स्थिति प्राप्त होती है, जिससे वह माया के विघ्नों से मुक्त होकर सदा हर्षित और शक्तिशाली बना रहता है। इस समय को चूकना विशेष प्राप्तियों और शक्तियों से वंचित होने के समान है।

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