
संगठन क्लास –02.07.2023 | Vcd –1109 | मुरली ता. 03.08.1968 | आध्यात्मिक विश्वविद्यालय | अध्यात्मिक ज्ञान
- मुरली क्लास
- 2 July 2023
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VCD -1109 मु.ता. 03.08.1968
बाप तो देखते हैं ये साहबजादी और साहबजादे बैठे हुए हैं साहब हैं ना! और वो साहब तो एक ही है सिख लोग गाते भी है जप साहब को तो सुख मिले ओरौ ओरौ का नाम का जाप करेंगे तो सुख नहीं मिलेगा! क्यों नहीं मिलेगा? कि ओर ओर सब देहभान मे रहने वाले हैं सब आखरीन दुखदाई साबित होते हैं। एक ही साहब हैं जो सदाशिव कहा जाता है सदैव कल्याणकारी हैं कभी भी दुख देकर किसीका अकल्याण नहीं करता है। तो साहब को जपों वो तो कहते हैं नाम को जपों। वो नहीं जानते हैं कि नाम का आधार काम होता है। जो जैसे काम करता है वैसा वैसा भक्ति मार्ग में उसका नाम जपा जाता है। रावण रूलाने का काम करता है तो रावते लौकान रावण कहा जाता है। राम हरेक की बुद्धि को रमण कराने का काम करना है। बुद्धि रमण करती है खेल करती है प्रसन्न होती है इसलिए उसको राम कहा जाता है। कहते भी है रम्यते योगी लोग यस्मोनिती राम! योगी बच्चे ही उसकी याद में रमण करते हैं तो अभी तुम बच्चे साहबजादे हो साहबजादियां हो!फिर भविष्य में शाहजादे और शाहजादियाँ बनाने के लिए बाप आये हैं!- मु.ता.03.08.1968
अभी अपन को शाहजादा बनकर के नहीं बैठ जाना है यहाँ कोई तुम्हारी राजधानी स्थापन नहीं हो गई हैं तुम ब्राह्मण सेवाधारी हो सेवाधारियों का काम होता है सेवा करना! सबकी सेवा करनेवाले। सारी दुनिया की सेवा करने वाले हो! क्योंकि बाप तुम्हारा ओबेड़ियन सर्वंट बनकर के आया हुआ है जो सेवाधारी होते हैं वो बडे निर्माण चित्त होती हैं। भक्ति मार्ग में भी कहते हैं सेवक का धर्म सबसे ज्यादा कठोर होता है। मालिक की बातों को भी सुनता है झड़प को भी सुनता है और उसकी सेवा भी करता है तो तुम सेवाधारी ब्राह्मण अभी समझों।शाह और शाहजादे नहीं समझना! हां साहबजादे हो।
मु.ता.03.08.1968
भविष्य में प्रिंस और प्रिंसेस बनने वाले हो यहाँ तुम आये ही हो प्रिंस प्रिंसेस बनने के लिए। ये पक्का निश्चय रहे कि हम साहब के बच्चे और बच्चियां हैं ये बात भी याद रहे तो बडी खुशी चढ़ी रहे। अपार सुख 21 जन्म के लिए मिलने वाले हैं परंतु कर्म भी ऐसे करने चाहिए। साहब देखते हैं कि इनके कर्म कैसे हैं? जो श्रेष्ठ कर्म करते हैं वोही शाहजादे और शाहजादियाँ बनते है परंतु बाप देखते हैं कि अभी ऐसे कर्म नहीं कर रहे हैं देह अभिमान मे आकर कोई न कोई श्रीमत के विपरीत कर्म कर लेते हैं तो फिर ऐसे विपरीत कर्म करने वाले शाहजादे और शाहजादियाँ नहीं बन सकेंगे! फिर क्या बनेंगे? फिर जाकर के प्रजा मे दासदासियां बनेंगे! अपने अपने कर्मों के अनुसार ही जन्म लेते हैं। बुद्धि मे सदैव ही याद रखों कि अभी हम साहबजादे और साहबजादियां हैं! फिर हम भविष्य में शाहजादे और शाहजादियाँ बनेंगे। अच्छी तरह से बुद्धि मे रखना चाहिए कि हम बेगर टू प्रिंस बनने वाले हैं।
मु.ता.03.08 1968
बेगर उसको कहा जाता हैं जिसके पास कुछ भी न हो घर भी न हो पद भी न हो मान मर्तबा कुछ भी न हो ऐसे बेघर बनेंगे ईश्वरीय सेवा में अपने को अर्पण करेंगे तो तुम प्रिंस प्रिंसेस बन जावेंगे। अभी भारत भी भिखारी है ना! तो जो भारत अभी भिखारी हैं वो भविष्य में प्रिंस बनने वाला है! किस समय की वाणी हैं?हें? 68 की..68 के लिए बोला भारत अभी विकारी हैं फिर घोषणा की। कि भारत फुल बेगर फुल प्रिंस बनने वाला है! कब के लिए घोषणा कि?हें? दस वर्ष की घोषणा कि 66 मे कि दस वर्ष में भारत क्या बन जावेगा? लक्ष्मी नारायण के चित्र घोषणा दी हुई है ना निचे! वो लक्ष्मी नारायण का चित्र कब बना था? सन 66 मे तैयार हुआ था उस समय वो घोषणा छाप दी गई मुरलियों मे भी बोला ज्ञान अमृत पत्रिका में भी छपवाया गया। तो इशारा देते हैं कि जो भारत बेगर बन जाता है उस भारत को बाप आकर के बेगर टू प्रिंस बनाते हैं।
मु.ता.03.08.1968
ये कर्म की गति बडी न्यारी हैं और कर्म करना बाप ही आकर सिखलाते हैं। कर्म अकर्म और विकर्म की गति बाप ही आकर बतलाते हैं तो अभी ये सिर्फ तुम सीमिरन करो कि हम साहबजादे हैं और साहबजादे साहब को जपें। भक्ति मार्ग में नाम जपना होता है और यहाँ ज्ञान मार्ग में है याद। नाम रूप धाम गुण कर्तव्य को सीमिरन करने की बात है स्मरण करने की बात है कहेंगे मन मना भव! परंतु माया बडी दुस्तर हैं ऐसी दुस्तर हैं जो कोई को कान से पकड़ लेती है! कैसे पकड़ती हैं? कान से एक बाप की बात न सुनकर के ओरौ ओरों की बात कान पर धर लेते हैं सुनते हैं! बाप की बातों को एक कान से सुनते हैं दूसरे कान से निकाल देते हैं और ओरों ओरों की बात कान पर धर लेते हैं धारण कर लेते हैं तो कोई को माया कान से पकड़ लेती है। कोई को नाक से पकड़ लेती हैं! नाक से कैसे पकड़ लेती है? कुत्ते की कौन सी इन्द्रिय बहुत तीखी होती है?हें? नाक। सुंघासांघी बहुत करता है और इस सुंघासांघी में तीव्र गति होने के कारण उसको कुत्ता कहा जाता है। कामी कुत्ता! तो कोई कोई ऐसे होते हैं जो दूसरों की कमियों को दूसरों की दुर्गंध को बडे प्यार से सूंघते हैं! ये ऐसा करता है वो वैसा करता है देखें ये कैसे करता है इन्हीं बातों में सारी ग्रहण शक्ति लगी रहती है! तो कोई को नाक से पकड़ती हैं! ऐसा पकड़ती हैं जो घूंसा गहरा लगाई देती है। उन प्रिंस प्रिसेंस को इतनी खुशी नहीं होती है जितनी तुम बच्चों को खुशी होती है वो दुनियावी जो प्रिंस प्रिंसेस होते हैं वो तो अल्पकाल के होते हैं और तुम तो 21 जन्म प्रिंस प्रिंसेस बनते हो। तुमको लोटरी बहुत बडी मिलती हैं परंतु तुम्हारे मे कोई कोई हैं जो श्रीमत के विपरीत कर्म करके लोटरी को लात मार देते हैं नहीं तो खुशी का पारा बहुत भारी चढ़ना चाहिए।
मु.ता.03.08.1968
एम ओब्जेक्ट तो हैं! कि हम यह बनने वाले हैं! क्या? यह बनने वाले माने क्या? हम वह बनने वाले हैं जिनके उपर कोई भी दुनिया में उंगली नहीं उठाय सका! तेतीस करोड़ देवताओं के उपर उंगली उठाई गई है सब देवताओं की ग्लानि कि गई हैं। ब्रह्मा की ग्लानि कि गई शंकर की ग्लानि कि गई परंतु लक्ष्मी नारायण कोई ग्लानि नहीं हुई हैं तो बुद्धि में सदैव ये रहना चाहिए एम ओब्जेक्ट! हम ये लक्ष्मी नारायण बनने वाले हैं जिन्होंने ऐसा कोई ग्लानि का काम नहीं किया जो कोई इनके उपर उंगली उठाई सके -मु.ता.03.08.1968
ये तो दुनिया बहुत नीची हैं बहुत गंदी दुनिया हैं! और हमको जाना कहाँ है? हमको जाना है ऊंच ते ऊंच पवित्र धाम में। तो ऐसा ऊंच ते ऊंच जाने के लिए बाप हमको बहुत हल्का बनाते हैं फूल कितना हल्का होता है फूल समान हमारी बुद्धि बन जाती है बडे ते बडा फूल बनाते हैं! किसकों? जो कांटे जैसे होते हैं उनको फूल बनाते हैं। बडे ते बडा फूल का नाम क्या है? कमल का फूल। कमल के फूल के समान हमारी प्रेक्टिकल जिंदगी बनाय देते हैं। माया फिर नाक से पकड़ लेती हैं जब माया नाक से पकड़ती हैं पूरा ही कांटा बनाय देती हैं छोड़ती ही नहीं है तो देखो ये तुम बच्चों का युद्ध का मैदान हैं तुम्हारी माया के साथ युद्ध हैं -मु.ता.03.08.1968
इस समय तुम बाप के बच्चे हों बाप गरीब निवाज़ बनकर के आया हुआ है। साहुकारों को बेगर टू प्रिंस नहीं बनाता है जो गरीब होते है बेघर होते हैं ऐसे बेगर्स को मैं प्रिंस बनाता हूँ! तुम्हारे दिल में ये बात है कि हम नर से नारायण बनने आये हैं तो जरूर पहले साहबजादे और साहबजादियां बनना पड़े! फिर शाहजादे और शाहजादियाँ बनेंगे। तुम्हारा एम ओब्जेक्ट भी ये है तो बुद्धि मे रहना चाहिए कि हम पाई पैसे की प्रजा बनने हम यहाँ नहीं आये हैं प्रजा वो बनते हैं जो ओरौ ओरौ से प्रभावित होते रहते हैं। प्रभावित माना ही प्रजा। हम तो सिर्फ बाप की बातों से प्रभावित होते हैं बाप के अलावा ओर कोई की बातों का हमारे उपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अगर ओरों की बातों से प्रभावित होते रहेंगे तो हम राजा नहीं बनेंगे! क्यों? क्योंकि राजा बनाने वाला राजयोग सिखाने वाला एक ही बाप हैं और दुनिया में ऊंचे ते ऊंचा कोई भी धर्मपिता कोई भी महात्मा कोई भी धर्मात्मा नहीं हुआ है जिसने राजाई सीखाई हो सब दासदासी बनाते हैं। अपने अंदर मे चलाते हैं बाप तो कहना है मैं तुम्हारा ओबेड़ियन सर्वंट बनकर के आया हुआ हूँ! और तुमको राजा महाराजा बनाकर के जाता हूँ! मैं तो नहीं बनता हूँ! ऐसा निष्कामी ओर दुनिया में कोई हो नहीं सकता! -मु.ता.03 08.1968
इस समय तुम्हारा मर्तबा बहुत ऊंचा हैं! इस समय माने? इस पुरूषोत्तम संगम युग में तुम्हारा मर्तबा जितना ऊंचा बनता है उतना ऊंचा मर्तबा ओर दुनिया में किसी भी जन्म में नहीं बनता! जैसे आसमान के सितारे होते हैं कितनी ऊंचाई पर चमकते हैं वो हैं आसमान के सितारे और तुम बनते हो धरती के सितारे! जो विनाश के टाइम पर महाविनाश के टाइम पर सारी दुनिया के बीच सबकी आँखों में इतने ऊंचे होकर के चमकते हो तुम्हारी चमक ज्ञान की चमक हैं ज्ञान की लाइट मारते हो! सारी दुनिया तुमको बहुत ऊंच समझती है तो अपनी ऊंचाई को कब भूलना नहीं चाहिए। बाबा बताते हैं कि अभी तो इस दुनिया में ऊंचे ऊंचे धंधे करने वालों का मर्तबा बहुत हैं ऊंचे ऊंचे पद मान मर्तबा खुर्शियों पर बैठने वालों का मर्तबा बहुत हैं धंधा दोरी वालों का मर्तबा बहुत हैं पैसे वालों का मर्तबा बहुत हैं लेकिन अभी थोड़े समय में ही ऐसा टाइम आने वाला है कि सब धंधों मे होगा नुकसान सब धंधे चौपट हो जावेंगे एक ईश्वरीय धंधा संसार में इतना तीव्र गति से चलेगा जो सबको आश्चर्य हो जावेगा!ओर कोई भी धंधा अब चलने वाला नहीं है देखने में भी आता है ओर ओर धंधे चोपट होते जा रहे हैं खास भारत में ऐसा हो रहा है। -मु.ता.03.08.1968
जितने भी देहधारी मनुष्य हैं उनका बाप कौन? देहधारी मनुष्यों का बाप हैं प्रजापिता और उन मनुष्यों में रहनेवाली जो आत्मा है उन आत्माओं बाप हैं परमपिता परमात्मा शिव! जिसे ईश्वर कहा जाता है! किसलिए कहा जाता ईश्वर? क्योंकि वो ईश्वत्व अर्थात शाशन करनेवाला हैं और मुसलमानों की तरह तलवार की ज़ोर से शाशन करनेवाला नहीं है क्रिश्चियन की तरह लोभ मे लेकर के शाशन करनेवाला नहीं है चंटई चालाकी से शाशन करनेवाला नहीं है। एक एक के दिलों पर राज्य करनेवाला हैं। दिलवाला बाप हैं!सभी आत्माओं के उपर दिल पर शाशन करता है। तो शाशन करने वालों में वर अर्थात श्रेष्ठ कहा जाता है और हम उसी बाप के बच्चे हैं।
-मु.ता.03.08.1968
बाप आकर हम बच्चों को अहिंसक बनाते हैं। डबल अहिंसक बनाते हैं। स्थूल हिंसा भी नहीं करने देते और सूक्ष्म हिंसा भी नहीं करने देते तब नईदुनिया बनती है। ये पुरानी दुनिया को रावण की दुनिया कहा जाता है ये रूलाने वालों की दुनिया हैं सारे विश्व के उपर राज्य करने की आकांक्षा करनेवाले आतातायी रावण हैं हिंसा के आधार पर कितने बीवी बालबच्चों को यतीम बनाई देते हैं बाप आते हैं जो ऐसी हिंसा को नेस्तनाबूद कर देते हैं ढाई हजार साल के लिए! कितना अच्छा समझाते हैं तो नईदुनिया मे तुम्हारा बहुत भारी पद बनने वाला है। अगर अपने घाटे और फायदे का पोता मेल नहीं रखेंगे तो फेल हो जावेंगे। माया ऐसी है जो तुमको फेल कराई देती है और बहुतों को फेल करती रहती है ऐसी माया की युद्ध चलती रहती हैं।
मु.ता03.08.1968
अभी चेहरे तैयार हो रहे हैं जो श्रीमत पर चलने वाले हैं उनके देवताई चेहरे तैयार हो रहे हैं और जो श्रीमत का उल्लंघन करने वाले हैं विपरीत चलने वाले हैं उनकी आसूरी चलन उनके आसूरी चेहरे तैयार कर देती है तो कहा जाता है आसूरी संप्रदाय और ईश्वरीय संप्रदाय। -मु.ता.03.08.1968
तुम बच्चों को अंदर बाहर साफ रहना चाहिए साफ दिल तो मुराद हांसिल होगी। दुर्बुद्धि नहीं होनी चाहिए। कुबुद्धि बनने से पद मान मर्तबा नईदुनिया में नष्ट हो जावेगा। अभी तुम्हारा सदैव खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए। फकूर में रहो हम किसके बच्चे हैं! बाप फिर समझाते हैं तब तो नशा चढ़ता है और जब बाहर की दुनिया में जाते हैं तो भूल जाते हैं जैसे कोई शराबी होते हैं शराबी भी जब शराब पीते हैं तो उनका नशा बहुत चढ़ जाता हैं। तुम्हारा भी ऐसे होता है बाप के सामने बैठते हो तो नशा चढ़ जाता है और बाहर की दुनिया में जाते हो तो नशा उतर जाता है। बच्चे समझते हैं जो बच्चे हैं वो समझते हैं कि हमारे जैसा साहुकार तो दुनिया में कोई भी नहीं है! क्यों? हम बेगर हैं तो साहुकार कैसे हो गए? बेगर हैं दुनियावी धन के हिसाब से जो दुनियावी धन आज हैं कल नहीं रहेगा। और धनवान किस हिसाब से हैं? साहुकार किस हिसाब से हैं? हमारे जैसा साहुकार दुनिया में कोई भी नहीं है! जो बेहद का धन हैं ज्ञान रतन वो बेहद के ज्ञान रतन हम धारण करते हैं दुनिया में इन रत्नों को कोई भी धारण नहीं कर रहा है। किसीको परवाह नहीं है इन ज्ञान रत्नों को धारण करने की। और हमने धारण किया है क्योंकि हम जानते हैं यही ज्ञान रतन अब थोड़ी ही समय के अंदर स्थूल रतन बनने वाले हैं! कैसे बन जावेंगे? जो दुनियावी धंधे से दुनियावी धन इकट्ठा कर रहे हैं वो सब धंधे चोपट होने वाले हैं और हम ईश्वरीय धंधा करनेवाले ब्राह्मण ज्ञान रतन इकठ्ठे कर रहे हैं जो विनाश के टाइम पर हर धर्म की मनुष्य आत्माएं ईश्वत्व ज्ञान के पीछे पागल होकर के दौड़ेगी! पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण चौ दिशकाल फिरे जब ऐसी स्टेज होगी तब ज्ञान का बोलबाला हो जायेगा। -मु.ता.03.08.1968
अभी तुम शिव की संतान हो और सतयुग में तुम दैवी संतान बनेंगे तो ग्रेड ऊंचा होगा या नीचा हो जावेगा?हें? सतयुग में दैवी संतान देवताओं की संतान होंगे और अभी तुम शिव की संतान बनते हो तो कौन सा ग्रेड ऊंचा हैं? शिव की संतान हैं ब्राह्मण और ब्राह्मण होते हैं चोटी के तो ऊंच ते ऊंच स्टेज तुम्हारी अभी हैं। -मु.ता.03.08.1968
तुम पढ़ते ही हो नईदुनिया के लिए और ऐसे ही कोई पाठशाला नहीं है जहाँ तुम ऐसी पढ़ाई पढ़ते हो। तुम अमरपुरी शिवालय के लिए पढ़ते हो। अभी तुम पुरुषोत्तम संगम युग पर हो। ये युग कल्याणकारी युग है तुम बच्चे भी कल्याणकारी पार्ट बजाने वाले हो। कंइ बच्चे अपना कल्याण करने के बदले अकल्याण करके नीचे गिर पड़ते हैं। -मु.ता.03 09.1968
बाप कर्म अकर्म विकर्म पर कितना समझाते हैं। तुम अभी पुरुषोत्तम संगम युग पर हो। कलियुगी मनुष्य जो कर्म करते हैं वो तो सभी पाप कर्म करते हैं! क्यों? पूण्य कर्म नहीं करते? क्योंकि उनको कर्म की गति का पता ही नहीं है। कर्म क्या होता है और विपरीत कर्म क्या होता है पाप क्या होता है पूण्य क्या होता है? दुनिया ये बात जानती ही नहीं बाप आकर के बतलाते हैं कि मैं जो रास्ता बताता हूँ उस रास्ते पर चलने वाले पूण्य आत्मा बनते हैं और मैं जो रास्ता बताता हूँ उसके विपरीत चलने वाले पाप आत्मा बन पड़ते हैं भ्रष्टाचारी बन पड़ते हैं। भ्रष्टाचारी मनुष्य कैसे कर्म करेंगे? भ्रष्टाचारी मनुष्य भ्रष्ट आचरण कर्म करने वाले कर्म ही करेंगे। श्रेष्ठाचारी देवताएं श्रेष्ठ कर्म ही करते हैं। -मु.ता.03 08.1968
इस समय कोई तो वायब्रेशन बनाते हैं कोई वायब्रेशन को बिगाड़ते हैं। कोई व्यभिचारी वायब्रेशन बनाते हैं कोई अव्यभिचारी बनाते हैं। कोई बाप के उपर निश्चय बिठाते हैं और कोई बाप के उपर निश्चय उखाड़ देते हैं कोई जमाने वाले हैं कोई भगाने वाले हैं। माया है भगाने वाली और तुम बच्चे हो थमाने वाले। तो आसूरो की देवताओं की युद्ध हैं! देवताएं होते है नईदुनिया के और असूर कलियुगी पुरानी दुनिया के। -मु.ता.03.08.1968
बाप बतलाते हैं कि पांच हजार वर्ष की बात है। ड्रामा अनुसार फिर भी ऐसे भक्ति मार्ग के शास्त्र बनावेंगे। जब शास्त्र बनावेंगे तो सच की रति भी नहीं रहेगी! झूठ ही झूठ! ईश्वर बाप को तो उडाई देते हैं! गीता का भगवान ही झूठा कर दिया! तो झूठ माना झूठ! सच की रति नहीं! बाप जो सचखंड स्थापन करते हैं उसमें सच ही सच होता है! क्या सच्चा होता है? और रावण जो झूठ राज्य स्थापन करते हैं जो झूठखंड बनाते हैं उसमें झूठ ही झूठ होता है! क्या झूठ होता है? राम जो नईदुनिया स्थापन करते हैं सबकी बुद्धि मे होता है कि हम ज्योतिबिंदु आत्मा है ये है सच्ची बात। और रावण जो रावण राज्य स्थापन करते हैं तो सबकी बुद्धि मे बैठ जाता है कि हम देह हैं! देहभान मे आते हैं। देह के जो बाप हैं धर्मपिताएं हैं उनका वर्चस्व हो जाता है।फिर भी जो मनुष्य मात्र का बाप हैं जिसमें शिव बाप आते हैं वो फिर भी लोप हो जाता है।तो झूठ ही झूठ! -मु.ता.03.08.1968
ये बात तुम भूलों नहीं अच्छे अच्छे बच्चों को कब भी भूलना नहीं चाहिए ईश्वर कौन हैं? अर्जुन और भिल का मिसाल दिया है। भिल अर्जुन से भी तीखा हो गया बाहर मे रहने वाले ने तीर पूरा चट कर लिया यहाँ भी ऐसे होता है जो अंदर मे रहने वाले हैं उनके लिए बाप कहते हैं अंदर मे रहनेवाले रह जावेंगे और बाहर वाले ले जावेंगे। बेसिक में भी ऐसे हुआ बेसिक ज्ञान लिया बेसिक ज्ञान लेने वालों में दो वर्ग थे एक अंदर वाले जो सरेंडर बुद्धि होकर रह रहे थे समर्पित होकर अंदर ही रहे पड़े थे बाप के घर में रहे पड़े थे प्रेक्टिकल जीवन में। दूसरे वो थे जो घर गृहस्थ के किचड़ मे रहते थे और बाप के घरों में यदा कदा या रोज क्लास करने के लिए आते थे तो बाहर वाले भी पढ़ने वाले थे और अंदर रहकर भी पढ़ने वाले थे उनके लिए भी ये वाक्य लागू हुआ अंदर वाले रह जावेंगे और बाहर वाले ले जावेंगे! क्या ले जावेंगे?और क्या ले गए? 76 से जो बाहर वाले थे घर गृहस्थ की किचड़ मे रहकर के पढाई पढ़ रहे थे क्या ले गए? ईश्वरीय ज्ञान के तंत को पूरा चट कर लिया! ईश्वर बाप को पहचान लिया और अंदर वाले? जो बाप था उनको भूल गए और मां को बुद्धि स पकड़ लिया!वास्तव में माता का स्वरुप होता है प्रकृति का स्वरूप पांच तत्वों का स्वरूप और बाप होता है बीज! अगर बाप को नहीं पहचाना तो कुछ भी नहीं पहचाना! अभी भी एडवांस मे ऐसा ही होने वाला है जो अंदर वाले हैं वो बहुत है ऐसे जो पढ़ाई पूरी अच्छी रीति नहीं पढ़ते! रह जावेंगे! और बाहर वाले? माने जो विजय माला हैं चंद्रवंश से आने वाली है बाहर रहने वाली है ज्ञानसूर्य से डायरेक्ट पढ़ाई पढ़ने वाले नहीं है वो आत्माएं ले जावेगी! क्या ले जावेगी?हें क्या ले जावेगी? अरे विजय माला के मणके लक्ष्मी पद पा लेंगे!! और रूद्र माला के मणके लक्ष्मी पद नहीं पाय सकेंगे! क्यों नहीं पाय सकेंगे? क्योंकि ग्लानि करने के कारण जगदम्बा की भुजाएं बन पड़ेंगे!जगदंबा महाकाली बनती है। महाकाली की भुजायें बनेंगे तो लक्ष्मी कहें जायेंगे महागौरी के पार्टधारी कहें जायेंगे या महाकाली के पार्टधारी कहें जावेंगे? क्या कहें जावेंगे? हें? महाकाली के पार्टधारी कहें जावेंगे। -मु.ता.03.08.1968