
संगठन क्लास 25.06.2023 | मुरली परीक्षा पत्र – 53 | VCD- 1158 | आध्यात्मिक विश्वविद्यालय
- Blogमुरली क्लास
- 25 June 2023
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QA. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प बताएँ। - Vcd 1158
1. कैसी याद से जल्दी पावन बनेंगे?
[a] नेमीनाथ वाली याद से [b] अव्यभिचारी याद से
2. आदि सनातन धर्म जब सृष्टि पर था तो और धर्म कहाँ थे ?
[a] मुक्ति में [b] सृष्टि पर ही थे
3. भगवान को सर्वव्यापी बताने से क्या नुकसान होता है?
[a] बुद्धि भटक जाती है [b] भगवान की प्राप्ति में देरी होगी
4. ईश्वरीय सेवा में किसके मिसल हड्डी स्वाहा करनी है ?
[a] चरक ऋषि मिसल [b] दधिचि मिसल
5. बाप का धंधा सो हमारा; बाप का धंधा क्या है ?
[a] दो रोटी जितनी कमाई करना [b] सबको पैगाम देना
6. निराकार का अर्थ क्या है?
[a] जो पकड़ में न आता हो [b] जो इन आँखों से देखने में नहीं आता है
7. पुरुषार्थ जास्ती करने के लिए क्या जरूरी है?
[a] याद की यात्रा [b] सेवा
8. भगवान की पूरी पहचान कब होती है?
[a] भक्ति करते-2 [b] भक्ति पूरी होगी तब ही
9. आत्मा की शक्ति क्षीण होने का कारण क्या है ?
[a] शरीर से सुख भोगते-2 [b] जीवन चलते-2 कमजोर होते है
उत्तर- 1. [b] अव्यभिचारी याद से, 2. [a] मुक्ति में, 3. [a] बुद्धि भटक जाती है, 4. [b] दधिचि मिसल, 5. [b] सबको पैगाम देना, 6. [b] जो इन आँखों से देखने में नहीं आता है, 7. [a] याद की यात्रा, 8. [b] भक्ति पूरी होगी तब ही, 9. [a] शरीर से सुख भोगते-2
QB. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में बताएँ। - Vcd 1158
1. मुक्ति में जाने का सहज रास्ता क्या है ?
उत्तर- तुम तो मुक्ति में जाने के लिए बहुत सहज-2 बातें बताते हो। कहते हो- अपन को आत्मा समझ अपने परमपिता परमात्मा बाप को याद करो।
2. पतित-पावन बाप को याद करने के लिए क्यों बोला है?
उत्तर- जितना-2 मैं तुम बच्चों के संसर्ग, संपर्क, संबंध में आता जाता हूँ और जितना-2 तुम बच्चे मेरे को लगावपूर्वक याद करते हो उतना तुम पवित्र बनते जाते हो। इसलिए ही कहते हैं कि पतित-पावन बाप को याद करो। पतितों को पावन बनाने वाला वो निराकार रूहानी बाप है।
3. संकल्प से ही विकारों को ख़तम करने क्यों बोला है?
उत्तर- मन के संकल्प जो बीज हैं, बीज में ही विकार आवेगा तो इन्द्रियों में भी विकार आवेगा। जब तुम्हारी ऐसी स्टेज बन जाए कि संकल्प मात्र में भी विकार न आवे, तो इन्द्रियाँ भी कैसी बन जावेंगी? निर्विकारी बन जावेंगी। निराकारी, निर्विकारी, निरअहंकारी कहे जावेंगे।
4. बच्चों की रावण पर जीत कौनसे बल से और कैसे होगी?
उत्तर- योग लगाने के लिए इन्द्रियाँ मुख्य हैं या मन मुख्य है? मन मुख्य है । तो मन जब तुम्हारा एकाग्र हो जावेगा तब तुम्हारी रावण पर जीत हो जावेगी। तो योगबल से तुम्हारी जीत होती है।
5. ज्ञान में आने के बाद आनंद कौन महसूस करेंगे?
उत्तर- जो आत्मायें जिस समय ज्ञान में आयी, बाप को पहचाना, उसी समय जो जितने अलर्ट हो जाते हैं, तो उनको बहुत आनंद आता है। जिसका आदि अच्छा उसका मध्य और अंत भी अच्छा होता है।
6. ज्ञान का सन्देश कोई स्वीकार नहीं करते है तो क्या समझना चाहिए?
उत्तर- किसी की बुद्धि में अगर थोड़ा भी बैठ जावेगा तो प्रजा में आ जावेगा। नहीं बैठता है तो समझ जाना चाहिए
कि ये हमारे धर्म का है ही नहीं।
7. आत्मा में प्योरिटी की लाईट कैसे आती है?
उत्तर- आत्मा जानती है कि हम बाप से योग रख करके, बाप को याद करते-2 बाप की जो लाईट है- एवर प्योरिटी की लाईट, वो हमारे अंदर समा जाती है। फिर वहाँ विकार का नाम-निशान नहीं रहेगा।
संगठन क्लास 25.06.2023 | मुरली परीक्षा पत्र – 53 | VCD- 1158 | आध्यात्मिक विश्वविद्यालय
QC. निम्नलिखित वाक्यों में आज की मुरली के अनुसार सही या गलत बताएँ।
1. जिसको समझाना है उसकी नब्ज भी देखनी पड़ती है। सही
2. मुझे याद करो तो दुखधाम को छोड़ करके तुम सुखधाम में ट्रान्सफर हो जावेंगे। सही
3. रूहानी बाप इन जिस्मानी आँखों से दिखाई पड़ता है।
सही वाक्य – रूहानी बाप इन जिस्मानी आँखों से नहीं दिखाई पड़ता है।
4.जितना बाप को पतितों को पावन बनाने में मजा आता है उतना उन योगियों को भी सहज राजयोग सिखते समय बहुत आनंद आता है। सही
5. व्यभिचारी याद होगी तो पावन बनने में देरी नहीं लग सकती है।
सही वाक्य- व्यभिचारी याद होगी तो पावन बनने में देरी लग सकती है।
QD. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर बताएँ ।
1. राजयोग की बिल्डिंग का फाउन्डेशन कमजोर है, उसकी निशानियाँ बताएँ ।
उत्तर- कोई कहते हैं- हमारा तो योग ही नहीं लगता, हमें तो बहुत कठिनाई होती है, बहुत परेशानी होती है, हमें
तो चेहरा भी नहीं याद आता; उस चेहरे में प्रवेश होने वाला वो ज्योतिबिंदू उसकी याद तो बहुत दूर की बात हो
गई। हमें तो वो आधार भी याद नहीं आता, तो इससे क्या साबित होता है? इससे साबित होता है कि उनका
राजयोग का जो फाउन्डेशन है वही कच्चा है। फाउन्डेशन पक्का न होने की वजह से जो भी राजयोग की बिल्डिंग
है वो कमजोर होती रहती है।
2. नीचे गिरने का कारण और ऊपर उठने का तरीका क्या है?
उत्तर- जैसे ऊँची देवताई स्टेज से नीचे उतर करके राक्षसी स्वभाव वाले बने, ऐसे ही नीच से फिर ऊँच बनने के
लिए क्या करना पड़ेगा? अरे, नीचे गिरे हैं अनेकों की याद से। अनेकों के संसर्ग, संपर्क, संबंध में जन्म-जन्मांतर
आते रहे, तो नीचे गिर गए। अब क्या करें? अब जो एक ऊँच ते ऊँच बाप का हमको परिचय मिला है, जाना है,
माना है, स्वीकार किया है, उस एक बाप की याद में अगर हम टिकेंगे, टिकने का पुरूषार्थ करेंगे तो तमोप्रधान
से सतोप्रधान ज़रूर बनेंगे।
3. मन्मनाभव और मामेकम् याद करने क्यों बोला है?
उत्तर- पिछाड़ी में फिर एक ही बात कहते हैं- मनमनाभव। मेरे मन के संकल्पों में समा जा। मैं निराकारी स्टेज
वाला हूँ, तू भी निराकारी बन जा मैं निसंकल्पी स्टेज वाला हूँ, तो मेरे को याद करते-2 तू भी ऐसे ही बन सकता
है। निराकारी बनेगा तो निर्विकारी बनेगा। फिर निरअहंकारी भी कहा जाएगा। इसलिए एक ही बात बताते हैं कि
मामेकम् याद करो। फिर जो जितना याद करे ।
4. याद का मीटर कैसे चेक करें और क्यों?
उत्तर- अपनी याद का मीटर देखते रहो कि हमारी याद कितनी सहज होती जाती है। याद में बैठता हूँ तो कितनी
देर लगती है मुझे मन को एकाग्र करने में ये मीटर देखते रहो। जो मीटर वाले होते हैं; पानी के मीटर वाले या
बिजली के मीटर वाले, उनके पास भी तो मीटर होता है ना। लम्बाई को नापने वालों के पास भी मीटर होता है।
तो जितने माईल्स का पता पड़ता जाता है, नूंध तो होता है ना।
5. एवर प्योर [पावन का अर्थ क्या है?
उत्तर- एवर पावन का मतलब उसकी प्योरिटी की शक्ति का कितना भी कोई संग का रंग ले, उसकी पवित्रता
कभी क्षीण नहीं होती है। इसके लिए शास्त्रों में एक श्लोक भी बनाया हुआ है। पूर्णमिदम् पूर्णमदः
पूर्णात्पूर्णमुदच्यते’। वो पूर्ण है। पूर्ण में से पूर्ण ले लिया जाए तो पूर्ण ही बचता है, खुटता नहीं है; अर्थात् वो एवर
प्योर है।